सुर्या कुमार यादव ने पाकिस्तान खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया, और जीत पहलगाम में मारे गए नागरिको को समर्पित
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट कभी सिर्फ एक खेल नहीं रहा। हर गेंद, हर रन और हर विकेट के साथ भावनाएँ, यादें और कभी-कभी इतिहास भी जुड़ा होता है। एशिया कप 2025 का यह मैच भी कुछ ऐसा ही था। भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया, लेकिन मैच के बाद सुर्खियों में सिर्फ जीत नहीं रही। सबसे ज्यादा ध्यान गया भारत के स्टार बल्लेबाज सुर्या कुमार यादव पर, जिन्होंने पाकिस्तान टीम से हाथ मिलाने से इनकार किया और इस जीत को पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए 26 नागरिक को समर्पित कर दिया।

क्रिकेट से बाहर का संदेश
आमतौर पर मैच के अंत में खिलाड़ियों का हाथ मिलाना खेल भावना का प्रतीक माना जाता है।
लेकिन इस बार सुर्या कुमार यादव ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने भीड़ की ओर बल्ला उठाया और हाथ सीने पर रखकर एक संदेश दिया।
मैच के बाद बयान देते हुए सुर्या कुमार ने साफ कहा:
“यह जीत पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए हमारे 26 नागरिको के परिवारों के नाम है। आज की जीत सिर्फ एक छोटा-सा श्रद्धांजलि है।”
उनके इस कदम ने करोड़ों भारतीयों को भावुक कर दिया।
यह सिर्फ इनकार नहीं था, बल्कि एक याद दिलाने वाला पल था कि पहलगाम की पीड़ा अब भी पूरे देश को जोड़ती है।
पहलगाम: वह घाव जो कभी नहीं भरता
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा हुए आत्मघाती हमले में 26 पर्यटकों मारे गए थे।
यह घटना भारत के लिए बेहद दर्दनाक थी और हर भारतीय के दिल में स्थायी निशान छोड़ गई।
बहुत से लोगों के लिए पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट खेलना हमेशा इस त्रासदी की याद दिलाता है।
सुर्या कुमार का हाथ न मिलाना उनके परिवारों के प्रति समर्थन दिखाने का तरीका था।
सुर्या कुमार के कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ
जैसे किसी भी साहसी कदम पर होता है, सुर्या कुमार को भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ मिलीं।
- भारतीय प्रशंसकों का समर्थन: सोशल मीडिया पर उन्हें “निडर देशभक्ति” के लिए खूब सराहा गया।
- आलोचना भी हुई: कुछ लोगों ने कहा कि खेल को राजनीति और विवादों से दूर रखना चाहिए।
फिर भी, यह घटना एशिया कप का सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला पल बन गई।
क्यों खास थी यह जीत
भारत की जीत अपने आप में ही बड़ी थी। पाकिस्तान को हराना हमेशा गर्व की बात होती है।
कुलदीप यादव की शानदार गेंदबाजी, अक्षर पटेल की सटीकता, बुमराह की धार और सुर्या कुमार की विजयी पारी ने इस जीत को खास बना दिया।
लेकिन सुर्या कुमार की भावनात्मक समर्पण ने इसे और गहरा अर्थ दे दिया।
यह जीत केवल क्रिकेट का नतीजा नहीं रही, बल्कि पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए 26 नागरिक को याद करने का अवसर बन गई।
खेल का मानवीय पक्ष
यह घटना दिखाती है कि खेल केवल स्कोरकार्ड तक सीमित नहीं है। इंडिया ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया
इसमें भावनाएँ, कहानियाँ और समाज को जोड़ने की ताकत होती है।
सुर्या कुमार यादव ने साबित किया कि एक खिलाड़ी सिर्फ मैदान पर बल्लेबाज नहीं होता, बल्कि वह राष्ट्रीय गर्व और सामूहिक स्मृति की आवाज भी बन सकता है।
अंतिम विचार
सुर्या कुमार यादव का पाकिस्तान खिलाड़ियों से हाथ न मिलाना और इस जीत को पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए 26 नागरिक को समर्पित करना इस एशिया कप मैच को इतिहास में दर्ज कर गया।
भारत के लिए यह जीत गौरव की थी, लेकिन सुर्या कुमार के लिए यह एक संदेश और श्रद्धांजलि थी—कि कुछ घाव कभी नहीं भुलाए जा सकते।