विजयदशमी क्यों मनाई जाती है? इसका पौराणिक महत्व क्या है? इसकी विशेषताएँ क्या हैं? इसे किन-किन नामों से जाना जाता है?
विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह रंगीन नवरात्रि उत्सव का समापन है और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इसकी पौराणिक कथाएँ, अनूठी परंपराएँ और अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम इसे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और नैतिक दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान बनाते हैं।

विजयदशमी क्यों मनाई जाती है?
विजयदशमी मनाने का मुख्य कारण विजय का उत्सव मनाना है। उत्तर और पश्चिम भारत में यह पर्व रामायण की उस घटना की याद दिलाता है जब भगवान राम ने रावण का वध किया। यह घटना हमें यह संदेश देती है कि अच्छाई अंततः बुराई पर जीत हासिल करती है।
भारत में रावण दहन का अर्थ है नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, लोभ और अहंकार को समाप्त कर धर्म की स्थापना करना।
पूर्वी भारत, खासकर बंगाल में, यह दिन दुर्गा पूजा का समापन होता है। यहाँ माँ दुर्गा, जो दिव्य शक्ति और स्त्री सामर्थ्य का प्रतीक हैं, महिषासुर का वध करती हैं। यह कथा सिखाती है कि साहस, नैतिकता और दृढ़ संकल्प से हर कठिनाई को हराया जा सकता है।
पौराणिक महत्व
विजयदशमी का संबंध कई पौराणिक कथाओं से है—
- रामायण में भगवान राम ने नौ दिन की रणनीति और युद्ध के बाद रावण का वध किया। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः अच्छाई ही विजयी होती है।
- दुर्गा पूजा की कथा में माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, जो अहंकार और अराजकता का प्रतीक था।
- महाभारत के कुछ संस्करण बताते हैं कि पांडवों ने एक वर्ष के अज्ञातवास के बाद शमी वृक्ष से अपने अस्त्र-शस्त्र वापस पाए, जो न्याय और शक्ति की वापसी का प्रतीक है।

विजयदशमी की प्रमुख विशेषताएँ
- रावण दहन: उत्तर भारत में रावण के पुतले का दहन बुराइयों को मिटाने का प्रतीक है।
- रामलीला: भगवान राम की गाथाओं का नाटकीय मंचन।
- दुर्गा विसर्जन: बंगाल में माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन, जो अगले वर्ष उनके पुनः आगमन की आशा के साथ किया जाता है।
- आयुध पूजा: दक्षिण भारत में औज़ारों, गाड़ियों और वाद्ययंत्रों की पूजा की जाती है।
- विद्यारंभम: केरल और कर्नाटक में बच्चे इस दिन शिक्षा का आरंभ करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में विजयदशमी के नाम
- विजयदशमी: संपूर्ण भारत में, जिसका अर्थ है “विजयी दसवाँ दिन”।
- दशहरा: उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में, रावण के दस सिरों का प्रतीक।
- दसरा: कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय नाम।
- दशैन: नेपाल और पूर्वी भारत में।
- दुर्गा पूजा: बंगाल और असम में नवरात्रि का अंतिम दिन।
- नवरात्रि: संपूर्ण भारत में नौ रातों का उत्सव, जो दशमी पर समाप्त होता है।
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निष्कर्ष
विजयदशमी का पर्व केवल उत्सव ही नहीं, बल्कि यह जीवन के संघर्षों में अच्छाई, साहस और धर्म की स्थापना का प्रतीक है। यह हर वर्ष हमें यह याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंततः अच्छाई ही उसकी पराजय करती है।
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