क्या हेमकुंड साहिब बंद और मिजोरम में धार्मिक पर्यटन बढ़ा ?
उत्तराखंड के सबसे पवित्र सिख तीर्थस्थलों में से एक हेमकुंड साहिब ने सर्दियों के लिए अपने द्वार बंद कर दिए हैं। यह वार्षिक हिमालयी यात्रा सीजन के समाप्त होने का संकेत है। इसी बीच भारत के धार्मिक पर्यटन का ध्यान अब पूर्वोत्तर की ओर मुड़ रहा है — मिजोरम ने इस वर्ष धार्मिक यात्रियों में 139% की वृद्धि दर्ज की है, जो इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।

हेमकुंड साहिब: भावनात्मक विदाई के साथ यात्रा का समापन
गढ़वाल हिमालय की 15,200 फीट ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब हर साल हजारों सिख श्रद्धालुओं और ट्रेकर्स को आकर्षित करता है। इस वर्ष यहां 2.7 लाख से अधिक यात्रियों ने दर्शन किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में एक बड़ी वृद्धि है। 10 अक्टूबर 2025 को बर्फबारी और शून्य से नीचे तापमान के बीच आखिरी अर्दास (प्रार्थना) हुई, जिसमें लगभग 2,000 श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
यह यात्रा आमतौर पर मई के अंत से शुरू होती है और अक्टूबर के मध्य तक समाप्त होती है।
इसके बाद भारी हिमपात के कारण यह क्षेत्र दुर्गम हो जाता है।
हर साल की तरह इस बार भी समापन समारोह में श्रद्धा, परंपरा और पर्यावरण के प्रति सम्मान झलकता रहा।
पर्यावरण और आस्था का संतुलन
हेमकुंड साहिब का बंद होना केवल मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी के प्रति जागरूकता का प्रतीक भी है। तीर्थ क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए सख्त दिशा-निर्देश लागू हैं। अधिकारियों ने यात्रियों से अपील की है कि वे इस पवित्र स्थल की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार पर्यटन का पालन करें।
मिजोरम: भारत के धार्मिक पर्यटन का नया सितारा
जहां उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब बंद हुआ, वहीं मिजोरम में धार्मिक पर्यटन बढ़ा है।
यह राज्य अपनी शांत पहाड़ियों, जनजातीय संस्कृति और ईसाई विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
यहां के चर्च, जो 100 साल से भी पुराने हैं, अब धार्मिक पर्यटन के नए केंद्र बन गए हैं।
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मिजोरम में इस वर्ष धार्मिक यात्रियों की संख्या में 139% की वृद्धि हुई है।
सरकार और चर्च संगठनों ने मिलकर यात्रा सर्किट, त्योहारों और स्थानीय होम-स्टे को बढ़ावा दिया है।
इसने राज्य को भारत के सबसे तेजी से बढ़ते धार्मिक पर्यटन स्थलों में शामिल कर दिया है।
भारत के धार्मिक पर्यटन का बदलता परिदृश्य
हाल के वर्षों में भारत में आस्था-आधारित यात्रा का विस्तार पारंपरिक स्थलों से आगे बढ़कर नए क्षेत्रों तक पहुंचा है।
अब जहां वाराणसी, अमृतसर और पुरी जैसी जगहें सदियों से प्रसिद्ध हैं, वहीं मिजोरम जैसे राज्य नई पहचान बना रहे हैं।
सरकारें इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल प्रचार और इको-टूरिज्म को बढ़ावा दे रही हैं ताकि श्रद्धा और स्थिरता दोनों को जोड़ा जा सके।
हेमकुंड साहिब बंद हुआ और मिजोरम में धार्मिक पर्यटन बढ़ा — यह दो घटनाएं भारत की विविध धार्मिक संस्कृति का प्रतीक हैं। जहां एक ओर हिमालय की बर्फ में आस्था की अग्नि सिमटती है, वहीं पूर्वोत्तर के हरे-भरे पर्वतों में नई आध्यात्मिक ऊर्जा जन्म ले रही है। ये दोनों कहानियाँ भारत की आस्था, पर्यटन और सांस्कृतिक एकता को एक नई दिशा दे रही हैं।
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