ज्वाला गुट्टा ने स्तनपान दूध दान किया: कौन कर सकता है दान?, क्या हैं भारत में इसके नियम ?
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने स्तनपान दूध दान किया, जिससे एक ऐसे विषय पर ध्यान गया जिस पर अब तक बहुत कम चर्चा होती है—स्तनपान दूध दान। लोग रक्तदान और अंगदान के बारे में तो बहुत जानते हैं, लेकिन दूधदान अभी भी सीमित रूप से जाना जाता है। यह नवजात शिशुओं, खासकर समय से पहले जन्मे बच्चों की जिंदगी बचाने में मदद करता है।

भारत में कौन दूध दान कर सकता है?, इसके नियम क्या हैं?, कितना दूध दान होता है? और इसमें एनजीओ तथा दूध बैंक क्या भूमिका निभाते हैं?
क्यों ज़रूरी है स्तनपान दूध दान?
स्तनपान का दूध अक्सर “तरल सोना” कहा जाता है, क्योंकि इसमें वह सभी पोषक तत्व, एंटीबॉडी और एंजाइम होते हैं जिनकी नवजात को ज़रूरत होती है। समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए यह सिर्फ भोजन नहीं बल्कि दवा है। यह संक्रमण से बचाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और गंभीर बीमारियों का खतरा कम करता है।
लेकिन हर मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती। कुछ माताओं को स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं, किसी की दूध आपूर्ति कम होती है या कुछ दुर्भाग्यवश बच्चे को खोने के बाद भी दूध का उत्पादन करती हैं। ऐसे में दान किया गया स्तनपान दूध जीवनदायिनी बनता है।
कौन कर सकता है स्तनपान दूध दान?
हर स्तनपान कराने वाली महिला दूध दान नहीं कर सकती। सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं:
- स्वस्थ महिलाएँ जिनको कोई संक्रामक रोग (जैसे HIV, हेपेटाइटिस B/C, सिफलिस) न हो।
- धूम्रपान, शराब या नशे से मुक्त माताएँ।
- ऐसी महिलाएँ जिनके पास अतिरिक्त दूध आपूर्ति हो और जो प्रसव के एक वर्ष के भीतर हों।
- दान से पहले स्वास्थ्य जांच और बेसिक ब्लड टेस्ट ज़रूरी है।
भारत में दूध दान के नियम
भारत में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) और ICMR द्वारा तय दिशानिर्देशों का पालन होता है।
- मिल्क बैंक: यहाँ दूध इकट्ठा कर पाश्चराइज़, टेस्ट और स्टोर किया जाता है। भारत में 100 से अधिक दूध बैंक सक्रिय हैं, लेकिन मांग अब भी आपूर्ति से कहीं ज्यादा है।
- मुफ्त सेवा: दान किया गया दूध बेचा नहीं जाता, बल्कि अस्पतालों और नवजात यूनिट्स को निशुल्क या बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध कराया जाता है।
- रेगुलेशन: हर दान का रिकॉर्ड रखा जाता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
- भंडारण: -20°C पर दूध तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
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भारत में कितना होता है दूध दान?
भारत में स्तनपान दूध दान अभी शुरुआती दौर में है। पश्चिमी देशों की तुलना में जागरूकता, ढांचा और सांस्कृतिक हिचकिचाहट बड़ी चुनौतियाँ हैं।
- औसतन एक मिल्क बैंक हर साल 500 से 2000 लीटर दूध इकट्ठा कर पाता है।
- मुंबई, चेन्नई और दिल्ली जैसे शहरों में सकारात्मक आंकड़े देखे गए हैं।
- फिर भी भारत की जनसंख्या और जन्म दर के हिसाब से यह मात्रा बेहद कम है।
क्या एनजीओ दूध दान करते हैं?
एनजीओ खुद दूध दान नहीं करते, क्योंकि दूध केवल माताएँ ही दान कर सकती हैं।
लेकिन वे जागरूकता बढ़ाने, दूध बैंक बनाने और उन्हें तकनीकी सहायता देने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- कई एनजीओ अस्पतालों के साथ मिलकर माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए कैंप चलाते हैं।
- वे मिल्क बैंक को पाश्चराइज़र और स्टोरेज उपकरण उपलब्ध कराते हैं।
- कुछ एनजीओ दाता माताओं को ज़रूरतमंद अस्पतालों से जोड़ने का काम करते हैं।
निष्कर्ष
ज्वाला गुट्टा ने स्तनपान दूध दान किया, यह सिर्फ एक प्रेरक कदम नहीं बल्कि जागरूकता बढ़ाने की दिशा में बड़ा संदेश है।
भारत में नियम साफ हैं—स्वस्थ माताएँ जांच के बाद अधिकृत मिल्क बैंक के ज़रिए दान कर सकती हैं।
एनजीओ भी इस प्रक्रिया को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
अगर सरकार, अस्पताल और समाज मिलकर इसे और बढ़ावा दें, तो हर नवजात शिशु को, चाहे उसकी परिस्थितियाँ कैसी भी हों, प्रकृति का सबसे कीमती आहार—मां का दूध—मिल सकेगा।