Home / India / ✈ भारत ने ट्रंप को दिया झटका: AMCA फाइटर जेट के लिए इंजन अब फ्रांस बनाएगा, अमेरिका नहीं

✈ भारत ने ट्रंप को दिया झटका: AMCA फाइटर जेट के लिए इंजन अब फ्रांस बनाएगा, अमेरिका नहीं

भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक ऐसा बड़ा कदम उठाया है, जिसने पूरी दुनिया खासकर अमेरिका और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चौंका दिया है। भारत अब अपने महत्वाकांक्षी अगली पीढ़ी के AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) फाइटर जेट के लिए इंजन अमेरिका से नहीं खरीदेगा।

india-france-amca-fighter-jet-engine-deal

भारत (India) ने फ्रांस की प्रसिद्ध एयरोस्पेस कंपनी Safran के साथ इंजन को संयुक्त रूप से विकसित करने का समझौता किया है। यह फैसला भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है और रक्षा सौदों में वर्षों से चले आ रहे अमेरिकी दबदबे को खत्म करता है।


❓ यह फैसला क्यों लिया गया?

पिछले कई सालों से भारत के स्वदेशी फाइटर जेट प्रोग्राम विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भर थे, खासकर इंजन के मामले में। जनरल इलेक्ट्रिक (GE) अमेरिका की दावेदार कंपनियों में सबसे आगे थी लेकिन बातचीत में तकनीकी हस्तांतरण, लाइसेंसिंग और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी जैसे मुद्दों पर बात अटक गई। ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के कारण कई उच्च तकनीकी उपकरण एक्सपोर्ट में बाधा आ गई, जिससे भविष्य की प्लानिंग मुश्किल हो गई।

वहीं, फ्रांस की Safran और ब्रिटेन की Rolls-Royce ने भारत को पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, IPR और स्थानीय निर्माण का प्रस्ताव दिया। यही सुझाव ‘आत्मनिर्भर भारत (Self Dependent Bharat)’ को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी था। फ्रांस का प्रस्ताव कम शर्तों और ज्यादा नियंत्रण का वादा करता है—इंजन भारत में ही बनेगा, भारत बदलाव भी खुद कर सकेगा और भविष्य के प्लेटफॉर्म्स में भी इस्तेमाल कर सकेगा।


🤝 भारत-फ्रांस रणनीतिक इंजन डील

22 अगस्त 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि भारत व फ्रांस साथ मिलकर नई पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए इंजन डिजाइन और निर्माण करेंगे। यह डील 61,000 करोड़ रुपये (7.2 बिलियन डॉलर) से ज्यादा की है और लगभग दस साल तक चलेगी—मुश्किल इंजीनियरिंग, टेस्टिंग, मैस प्रोडक्शन और सप्लाई चेन डेवेलपमेंट सब भारत में ही होगा।

  • संयुक्त विकास: भारतीय विशेषज्ञ और Safran इंजीनियर्स मिलकर नया इंजन बनाएंगे जिसमें एडवांस्ड स्टील्थ और हाई-थ्रस्ट फीचर्स होंगे।
  • मेक इन इंडिया (make in India): अधिकतर हिस्सों और असेंबली भारत में होगी, जिससे घरेलू एयरोस्पेस क्षमता बढ़ेगी।
  • पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: डिजाइन डाक्यूमेंट्स, नो-हाउ और सर्विसिंग सभी भारत को मिलेंगे।
  • न कोई एक्सपोर्ट रोक: भारत स्वतंत्र रूप से इंजन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल व बदलाव कर सकेगा।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: नया इंजन (110-120 kN थ्रस्ट) AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के अगले वेरिएंट को पहली बार पावर देगा। साथ ही 250 इंजन भारत के फाइटर बेड़े के लिए बनेंगे।

❌ AMCA के लिए अमेरिका को क्यों ‘ना’ कहा?

अमेरिका की इंजन डील के प्रस्ताव को भारत ने अचानक नहीं ठुकराया। पिछले साल देश की उच्च स्तरीय कमेटियों ने सभी अंतरराष्ट्रीय ऑफर्स की जांच की। अमेरिकी तकनीक दमदार थी, लेकिन इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ट्रांसफर और एक्सपोर्ट कंट्रोल में जटिलताएं थीं। फ्रांस के ‘नो एक्सपोर्ट रोक’ और फुल ट्रांसफर वादा के आगे भारत ने रणनीतिक फायदा देखा।

यह ट्रंप की ट्रांजेक्शनल डिप्लोमेसी और अमेरिकी दबाव के सामने भारत का दमदार जवाब है। भारत अब केवल तकनीक लेने वाला नहीं, बल्कि शर्तें तय करने वाला भी बन गया है। पहले राफेल, सबमरीन, और हेलिकॉप्टर डील्स ने इस सहयोग का आधार पहले ही बना लिया था।


🌍 भारत, फ्रांस और अमेरिका पर क्या असर?

  • भारत के लिए: यह साझेदारी भारत को ‘टेक्नोलॉजी पावर’ बनाने का रास्ता देती है—रोजगार, इनोवेशन और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता।
  • फ्रांस के लिए: अरबों डॉलर का फायदा, साथ ही भारत का विश्वसनीय रक्षा पार्टनर बनने की पुष्टि।
  • अमेरिका और ट्रंप के लिए: कई सालों की लॉबिंग के बाद भी बड़ा कॉन्ट्रैक्ट हाथ से निकल गया। ट्रंप की नीति और अमेरिका की टेक्नोलॉजी पॉलिसी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकती है।

✈️ निष्कर्ष: भारतीय एयरोस्पेस को फ्रांस का इंजन

भारत ने Safran को चुन कर आत्मनिर्भरता और वैश्विक मजबूती दोनों की मिसाल पेश की है। यह कदम अमेरिकी रक्षा लॉबी को झटका जरूर है, लेकिन भारत और फ्रांस की जीत है। अब AMCA अपने पंखों पर भारत-फ्रांस की साझेदारी और भारतीय प्रतिभा के साथ खुले आसमान में उड़ान भरेगा!