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CIBIL स्कोर: वित्त मंत्रालय ने की घोषणा कि CIBIL स्कोर के बिना लोन मिलेगा। नियम 7 अक्टूबर से लागू।

भारत के वित्त मंत्रालय ने एक बड़ा और जनहितकारी फैसला लिया है — अब CIBIL स्कोर के बिना लोन प्राप्त करना संभव होगा। 7 अक्टूबर 2025 से लागू यह नया नियम उन लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जिनका क्रेडिट इतिहास छोटा या कमजोर रहा है। यह कदम देश में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा देगा और पहली बार लोन लेने वाले लोगों के लिए नई संभावनाएं खोलेगा।

लोन के लिए सिबिल स्कोर ज़रूरी नहीं

नई नीति के अनुसार, बैंक और वित्तीय संस्थान अब केवल इसलिए किसी लोन आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि आवेदक का CIBIL स्कोर कम है या नहीं है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने नए निर्देशों में स्पष्ट किया है कि लोन देने के लिए किसी न्यूनतम क्रेडिट स्कोर की बाध्यता नहीं होगी।

अब निर्णय कई कारकों पर आधारित होगा, जैसे —

  • आवेदक की आय और रोजगार स्थिरता
  • कर्ज चुकाने की क्षमता
  • मौजूदा देनदारियाँ
  • वित्तीय पृष्ठभूमि

CIBIL स्कोर के बिना लोन का मतलब यह नहीं है कि क्रेडिट रिपोर्ट अप्रासंगिक हो गई है, बल्कि अब यह केवल एक तत्व है, न कि पूरा निर्धारण।


क्यों है यह बदलाव महत्वपूर्ण?

पहले जिनका CIBIL स्कोर 650 से नीचे होता था, उन्हें लोन पाना मुश्किल होता था। इससे कई नए उधारकर्ता, विशेषकर ग्रामीण और टियर-2 शहरों के लोग, औपचारिक बैंकिंग से दूर रह जाते थे।

अब यह नया नियम:

  • पहली बार लोन लेने वालों को सशक्त करेगा, चाहे वह शिक्षा, व्यवसाय, गृह या व्यक्तिगत लोन हो।
  • MSME, छात्रों और प्रोफेशनल्स को औपचारिक वित्तीय सहायता तक आसान पहुँच देगा।
  • बैंकों को केवल स्कोर पर निर्भर न रहकर, आवेदक की समग्र वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए प्रेरित करेगा।

कैसे होगी लोन जांच प्रक्रिया?

अब बैंक और NBFCs को निम्न बातों पर विचार करना होगा:

  • आय का सत्यापन और उसकी स्थिरता
  • मौजूदा ऋण और देनदारियाँ
  • भुगतान इतिहास (यदि कोई हो)
  • अन्य क्रेडिट ब्यूरो से रिपोर्ट
  • सह-आवेदक या संपत्ति की विश्वसनीयता

पुराने उधारकर्ताओं के लिए, यदि उनका CIBIL स्कोर कमजोर है, तो ब्याज दर या शर्तें प्रभावित हो सकती हैं,

लेकिन केवल इसी आधार पर लोन अस्वीकार नहीं किया जा सकेगा।

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क्या होगा उधारकर्ताओं और बैंकों पर प्रभाव?

CIBIL स्कोर के बिना लोन नीति का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अधिक लोग औपचारिक बैंकिंग से जुड़ सकेंगे।

  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा: अब ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लोग भी आसानी से लोन पा सकेंगे।
  • जिम्मेदार ऋण संस्कृति: बैंक अब आवेदकों की वास्तविक वित्तीय स्थिति को समझने के लिए अधिक गहराई से जांच करेंगे।
  • MSME और उद्यमियों को बढ़ावा: छोटे व्यापारियों को पूंजी तक आसान पहुँच मिलेगी।

RBI ने यह भी सुनिश्चित किया है कि क्रेडिट रिपोर्ट आसानी से और कम लागत पर उपलब्ध हो ताकि पारदर्शिता बनी रहे।


CIBIL स्कोर के बिना लोन देने का यह निर्णय भारत की वित्तीय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव लाता है।

इससे आम नागरिकों, युवाओं, और उद्यमियों के लिए औपचारिक बैंकिंग दरवाज़े खुलेंगे।

यह कदम न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि जिम्मेदार उधारी (Responsible Lending) को भी प्रोत्साहित करेगा। 7 अक्टूबर 2025 से लागू यह नया नियम बैंकिंग सेक्टर को और अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाएगा — एक ऐसे भारत की दिशा में, जहाँ हर व्यक्ति को वित्तीय अवसरों तक समान पहुँच हो।

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