मेटल किंग अनिल अग्रवाल (वेदांता) : शिक्षा के लिए कमाई का 75% दान करने का वादा
अनिल अग्रवाल, जिन्हें “मेटल किंग” और वेदांता समूह के अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है, ने विश्व स्तर पर सुर्खियाँ बटोरी हैं। उन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई का 75% हिस्सा दान में देने का संकल्प लिया है, जिसमें सबसे बड़ा भाग शिक्षा के क्षेत्र के लिए समर्पित होगा। उनकी उदारता करोड़ों ज़िंदगियों की दिशा बदल सकती है; अनुमान है कि यह राशि ₹21,000 करोड़ से भी अधिक है।

🏫 शिक्षा: भविष्य बदलने की पहल
अग्रवाल ने 1992 में वेदांता फाउंडेशन की स्थापना की, जो स्वास्थ्य, पर्यावरण और कल्याण के सामाजिक कार्यक्रमों का समर्थन करती है। अब उनका मुख्य फोकस आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा को बेहतर बनाना है। दिल्ली में ECO-Friendly उत्सव की तैयारी
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन नए स्कूलों का निर्माण, आधुनिक लर्निंग स्पेस तैयार करने और भारत के 15 राज्यों में ‘नंद घर’—आधुनिक आंगनबाड़ियों—के ज़रिए बच्चों और महिलाओं को स्वच्छ जल, पोषण, डिजिटल शिक्षा और सौर ऊर्जा प्रदान करता है। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का कहर
उनका सपना है कि भारत में “नेशनल ऑक्सफर्ड” जैसे विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान बनें, जो गैर-लाभकारी और मूल्य आधारित हों। चीन में पीएम मोदी का भव्य स्वागत
👧 बच्चों और समाज के लिए बड़ा असर
अग्रवाल की बड़ी डोनेशन से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले 7.5 करोड़ बच्चों के लिए शिक्षा, पोषण, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव होगा। वेदांता के नंद घर प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को सशक्त करने, डिजिटल लर्निंग, हेल्थकेयर और स्किल डेवलपमेंट के विभिन्न अवसर मुहैया कराए जा रहे हैं। रविचंद्रन अश्विन ने IPL से लिया संन्यास
अनिल अग्रवाल की यह सोच उनके बचपन के अनुभव से आती है, जब वे पटना में समाज की कठिनाइयाँ देख चुके हैं। आज वे भारतीय परोपकार (philanthropy) में बिल गेट्स जैसे रोल मॉडल बने हैं।
🌟 सामाजिक पहल: सिर्फ दान ही नहीं
वेदांता फाउंडेशन महिलाओं को सशक्त करने, सामुदायिक अस्पताल, कौशल विकास केंद्र, किफायती स्वास्थ्य सेवाएँ, और आधुनिक स्कूल/कॉलेज के ज़रिए समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है।
महामारी में परिवारों को सपोर्ट करने और बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव, रोज़गार, ई-शिक्षा और डिजिटल स्किल्स ट्रेनिंग जैसी पहल भी इसका हिस्सा रही हैं।
🔮 देश को प्रेरणा देने वाली सोच
अनिल अग्रवाल की “देने की संस्कृति” ने भारतीय कॉरपोरेट नेतृत्व की परिभाषा बदल दी है। उनका लक्ष्य है कि शिक्षा के ज़रिए गरीबी के चक्र को तोड़कर अगली पीढ़ी को सशक्त किया जाए और राष्ट्र के समावेशी विकास का आधार रखा जाए।
आज जब भारत आगे नई चुनौतियों और सपनों की ओर बढ़ रहा है, अग्रवाल का ये वादा उम्मीद की नयी किरण है।