10 दुल्हनें, 1 दूल्हा: जशपुर में दस साल और दस शादी और खोपनाक मंजर
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की शांति भरी वादियों के बीच धुला राम की कहानी सबका ध्यान खींचती है। इसमें रंग-बिरंगी शादियों की रौनक, बदलते रिश्ते और अंत में एक गहरा मोड़ है जिसने इलाक़े को हिला दिया। सुलसा गांव निवासी धुला राम ने दस साल में दस महिलाओं से शादी की। हर शादी एक नई शुरुआत थी, जिसमें उत्सव और उम्मीद शामिल थी। मगर हर संबंध टूटता ही गया—दिल टूटना, संदेह, और हिंसा हमेशा साथ रहे।

💔 शादीयों का जुलूस और टूटे दिल
धुला राम का जीवन हमेशा साथी की तलाश में बीतता गया।
हर साल वह नई दुल्हन लाते, लेकिन गांव वाले उसके पैटर्न को जानते थे—नौ पत्नियां उसे छोड़ गईं।
पड़ोसी उसकी हिंसक बहसों और डर की दास्तां सुनाते हैं।
कोई भी शादी कुछ महीनों से ज़्यादा नहीं चली—एक भी पत्नी उसके साथ नहीं रही।
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धुला राम बार-बार शादी करता रहा, भले ही उसकी छवि खराब थी।
शायद वह अकेलापन या भावनात्मक रिक्तता पूरी करना चाहता था।
दुल्हनों के रंगीन वस्त्र और रस्मों की खुशबू एक चक्र बन चुकी थी, जिसमें उम्मीदें बदलकर पीड़ा बन गईं।
🌑 दसवीं पत्नी की त्रासदी
ये सिलसिला उसकी दसवीं शादी के साथ भयानक पड़ाव पर आ गया।
पत्नी बसंती बाई इस दशकभर के नाटक की केंद्र बन गई।
स्थानीय स्रोतों के अनुसार, बसंती और धुला एक पड़ोसी की शादी में शामिल हुए।
भोज के बाद, धुला ने आरोप लगाया कि बसंती ने चावल, तेल और साड़ी चुरा ली।
अविश्वास और शंका चरम पर पहुँची। उसने पास के जंगल में बसंती पर पत्थरों से हमला किया।
बाद में उसने शरीर को पत्तों और झाड़ियों के नीचे छुपा दिया ताकि कोई न देख सके।
कुछ दिन बाद, सड़ी लाश की बदबू ने ग्रामीणों को वहां तक पहुँचा दिया।
जांच में पता चला कि धुला के पिछले रिश्ते भी हिंसा और उपेक्षा से बर्बाद हुए थे।
⚡ हिंसा और डर का चक्र
पुलिस रिपोर्ट और इंटरव्यू बताते हैं कि घरेलू हिंसा, अविश्वास और अकेलेपन का डर हर रिश्ते में रहा।
हर पत्नी कुछ दिनों या महीनों में ही छोड़ गई—क्योंकि सभी ने शारीरिक और मानसिक यातना झेली।
मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, धुला का शक और डर बार-बार अस्वीकृति पाने से बढ़ा।
साथ चाहने की चाह नियंत्रण की प्रवृत्ति में बदल गई। हर बार जब शादी टूटी, अगली के खोने का डर और बढ़ गया।
🚨 समाज पर असर और प्रतिक्रिया
धुला के कृत्य अकेले में नहीं हुए। इलाक़े के लोग कहते हैं कि उसकी हिंसा सबको मालूम थी, फिर भी कोई आगे नहीं आया।
कई नई शुरुआतों और शादी समारोहों के बावजूद, पुलिस और सामाजिक सेवाएँ हिंसा नहीं रोक पाईं।
अब, सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस गहराई से जांच कर रहे हैं
इतनी असफल, हिंसक शादी होने के बावजूद वह फिर कैसे शादी कर सका? कमजोर महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था कहाँ है?
पुलिस पिछले रिश्तों की जांच कर रही है, ताकि कोई छुपा अपराध या पीड़िता न छूट जाए।
🌑 नुकसान की विरासत
आज जशपुर की गलियाँ सबको चेतावनी देती हैं। जहाँ कभी उत्सव और उम्मीद थी,
वहाँ अब जवाबदेही का माहौल है—समाज और कानून दोनों को आगे आकर महिलाओं की सुरक्षा और अपराधियों की सजा सुनिश्चित करनी चाहिए।
धुला राम की कहानी सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं है—यह याद दिलाती है कि किसी भी शादी में विश्वास और सम्मान सबसे जरूरी हैं।
हिंसा के पैटर्न को पहचानें और रोकें—ताकि आगे किसी की जान और आत्मा न छिने।